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जन सूचना

जानने का सबको हक ... हथियार भ्रष्टाचार को दूर करने का भी ......

जन सूचना का अधिकार

राजनीतिक व्यक्तियों में भ्रस्टाचार को देखते हैं जबकि इन राजनीतिक व्यक्तियों को न कोई प्रशिक्षण दिया जाता है और न ही व्यवस्था की जानकारी हेतु कोई प्रशिक्षण संस्थान है | विभिन्न कर्यालयों / विभागों में कई वर्ष से कार्यरत अधिकारी / कर्मचारी ही इन राजनितिक व्यक्तियों को प्रशिक्षण / सुझाव / राय / मत / व्यवस्था इत्यादि प्रदान करते हैं |

आज कल भ्रस्टाचार का आलम यह है कि भ्रस्टाचार इतना जबरदस्त पैर पसारते हुए लोगों के जिन्स में भी मौजूदगी जताना चाहता है | यदि भ्रस्टाचार सही होता तो हमारे अन्दर की आवाज भ्रस्टाचार को करने हेतु नहीं रोकती |

इस भ्रस्टाचार में साथ देने अथवा शामिल होने के दो तरीके हैं, प्रथम (प्रत्यक्ष) भ्रस्टाचार में स्वयं को सम्मिलित कर / भ्रस्टाचार को सहकर | दूसरा (परोक्ष) भ्रस्टाचार को देखते / जानते हुए भी मौन रह कर अथवा उसके विरुद्ध निष्क्रिय रह कर |

यदि स्वयं के द्वारा भ्रस्टाचार किया जाता है तो भ्रस्टाचार को रोकना सबसे आसान होता है और यह केवल स्वयं के द्वारा किये जा रहे भ्रस्टाचार को बन्द करके रोका जा सकता है| परन्तु यदि स्वयं भ्रस्टाचार के शिकार है अथवा भ्रस्टाचार को होते देख रहे हैं, तो क्या कर सकते हैं यह समस्या बड़ी लगती है | यदि इस तरह के भ्रस्टाचार की शिकायत करते भी हैं तो कार्यवाही होने की सम्भावना बहुत ही कम दिखती है क्योंकि आज कल भ्रस्टाचार लगभग सभी में ब्याप्त होने लगा है |

स्वयं के द्वारा किये गए शिकायत / शिकायतों / प्रार्थना पत्रों पर की गई कर्यवाही / की जा रही कार्यवाही अथवा किये गए / किये जा रहे भ्रस्टाचार की जानकारी ले कर भ्रस्टाचार को दूर करने में सहयोग कर सकते हैं |

शिकायत हेतु स्वयं द्वारा लिखे गये प्रार्थना पत्र को जहाँ भ्रस्टाचार हुआ है उसके सम्बन्धित कार्यालय / उच्च कार्यालय / मंत्रालय में भेज कर कर सकते हैं | कार्यवाही संतोषजनक न होने पर भी इसकी शिकायत सम्बंधित उच्च कार्यालयों / लोक शिकायत पोर्टल / लोकायुक्त / मानवाधिकार आयोग / महिला आयोग इत्यादि में कर सकते हैं | हाँ यदि स्वयं इस कार्यवाही की जानकारी लेना चाहते हैं तो जन सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत सम्बंधित कार्यालय के जन सूचना अधिकारी से सूचना प्राप्त कर सकते हैं |

हाँ लोगों के मन में यह प्रश्न आ सकता है कि इस भ्रस्टाचार के विरुद्ध स्वयं द्वारा कोई कदम क्यों उठाया जाय जबकि हम तो इसके शिकार नहीं हैं | परन्तु यह भूल मात्र है क्योंकि इस देश के सवा अरब जनता के मेहनत के रुपयों में से विभिन्न टैक्सों के रूप में लिए गए रुपयों से ही इन अधिकारियों के वेतन एवं विभिन्न कार्यों के लिए रूपये दिए जाते हैं | जिसमें आपकी भी मेहनत की कमाई है |

मानव में मानवता / सामाजिकता होना अति आवश्यक है | यही आने वाली पीढ़ियों को सम्हालता एवं सजोता है | भ्रस्टाचार से एकत्र रूपये अथवा विकृत सोच / विचार केवल छडिक अनुभूति देते है और आने वाली पीढियों में केवल जहर घोलने / दुर्भावना / अंतर्विरोध / असंतोष को ब्याप्त करने का कार्य करता है |

            जन सूचना अधिकार 2005 के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने हेतु प्रार्थी को सादे कागज पर आवेदन, सम्बंधित कार्यालय के जन सूचना अधिकारी को आवेदन (प्रार्थना पत्र) लिख कर करना होता है | इस आवेदन के लिए आवेदन शुल्क 10/- (दस) रुपया निर्धारित है जो इसी सम्बंधित कार्यालय में भुगतान हेतु देना होता है | यदि प्रार्थी BPL कार्ड धारक है तो वह अपने BPL कार्ड का ब्यौरा मात्र देकर (विना आवेदन शुल्क के) आवेदन कर सकते हैं | आवेदन शुल्क को पोस्टल आर्डर / बैंक ड्राफ्ट रूप में सम्बंधित कार्यालय को दिए जाने का प्राविधान है | केंद्र के अंतर्गत आने वाले कार्यालयों से सूचना प्राप्त के लिए आन लाइन प्रार्थना एवं आन लाइन आवेदन शुल्क जमा करने की भी सुविधा प्रदान की गयी है |

   जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत आवेदन, सम्बंधित कार्यालय में सीधे रिसीव करा सकते हैं अथवा पंजीकृत डाक से भी भेज सकते हैं | जन सूचना अधिकारी को सूचना प्रार्थना पत्र प्राप्ति के 30 (तीस) दिनों के भीतर ही देने का प्राविधान है / यदि यह सूचना व्यक्ति के जिंदगी / स्वतंत्रता से संबंधित है तो सूचना प्रार्थना पत्र प्राप्ति के 48 (अड़तालीस) घंटों के भीतर ही देने का प्राविधान है |

यदि यह आवेदन डाक द्वारा भेजते हैं तो 30 दिन और डाक को जाने एवं आने में लगे समय के ध्यान देते हुए लगे समय (30 दिन + डाक को जाने एवं आने में लगा समय) के बाद भी सूचना न मिलने पर अथवा भ्रामक / अधूरी / गलत मिलने पर 30 (तीस) दिनों के भीतर प्रथम अपील उसी कार्यालय के अपीलीय अधिकारी (जो पद में सूचना अधिकारी से उच्च पद पर होता है) से करने का प्राविधान है | प्रथम अपील, सम्बन्धित कर्यालय के अपीलीय अधिकारी को पूर्व में मांगी गयी सूचना के बारे में बताते हुए सही सूचना दिलाने की मांग करते हुए आवेदन करना होता है | इसमें कोई आवेदन शुल्क नहीं देना होता है | प्रथम अपील की कार्यवाही के बारे में अपीलीय अधिकारी को 30 (तीस) दिनों के भीतर ही सूचना देने का प्राविधान है और इस मामले को 45 (पैतालीस) दिनों के भीतर ही निपटाने का भी प्राविधान है |

यदि प्रथम अपील के 30 दिन और डाक को जाने एवं आने में लगे समय के ध्यान देते हुए (30 दिन + डाक को जाने एवं आने में लगा समय) के बाद भी कोई सूचना न मिलने पर अथवा भ्रामक / अधूरी / गलत मिलने पर 90 (नब्बे) दिनों के भीतर द्वित्तीय अपील केन्द्रीय / राज्य सूचना आयुक्त (जिससे यह कार्यालय सम्बन्धित होता है) से करने का प्राविधान है | इसमें कोई आवेदन शुल्क नहीं देना होता है |

 

 

आवेदन / अपील

कहाँ करे

सुचना देने हेतु निर्धारित अवधि

सूचना भ्रामक / अधूरी / गलत मिलने पर अपील के लिए समय सीमा

सूचना न मिलने पर अपील के लिए समय सीमा

जन सूचना अधिकार के अंतर्गत आवेदन

सम्बन्धित कार्यालय के जन सूचना अधिकारी

30 दिन (सामान्य स्थिति में)

प्रथम अपील, सूचना मिलने के 30 दिन के अन्दर |

प्रथम अपील, यदि (30 दिन + डाक को आने जाने में लगा समय) के बाद भी सुचना नहीं मिलती है तो सूचना आवेदन के 60 दिन के भीतर |

प्रथम अपील

सम्बन्धित उपरोक्त कार्यालय के अपीलीय अधिकारी

30 दिन एवं पुरे मामले को 45 दिन में निपटाना

द्वितीय अपील सूचना मिलने के 90 दिन के अन्दर

द्वितीय अपील, यदि (30 दिन + डाक को आने जाने में लगा समय) के बाद भी कोई सूचना नहीं मिलती है तो प्रथम अपील हेतु आवेदन के 90 दिन के भीतर |